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क्या बीमा से सुरक्षा मिल रही है या सिर्फ भ्रम?

भारत में वित्त वर्ष 2022-23 में लोगों ने इतनी भारी मात्रा में जीवन बीमा प्रीमियम जमा किया कि यह देश की जीडीपी का लगभग 3% बन गया। यह अनुपात अमेरिका (2.6%), चीन (2.0%) और वैश्विक औसत (2.8%) से भी अधिक है।

स्पहली नज़र में लगता है कि बीमा जागरूकता और वित्तीय साक्षरता दोनों में सुधार हो रहा है। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है?

बजब इस प्रीमियम को वास्तविक सुरक्षा से जोड़कर देखा जाए, तो औसतन हर व्यक्ति के पास सिर्फ ₹1.43 लाख का जीवन कवर है। सोचिए, इतनी छोटी राशि किसी परिवार की आर्थिक सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करेगी?

तो फिर सारा पैसा जा कहाँ रहा है?

अधिकतर प्रीमियम एंडोमेंट प्लान और ULIP जैसे निवेश-युक्त बीमा उत्पादों में जा रहा है।

भारत में आज भी बीमा एक "निश्चित रिटर्न वाला निवेश" मानकर बेचा जा रहा है, FD से तुलना करके — न कि परिवार की सुरक्षा के एक साधन के रूप में।

यहाँ एक तुलनात्मक उदाहरण देखिए:

ULIP प्लान:

₹50,000 सालाना प्रीमियम पर

सिर्फ ₹5 लाख का कवर (10 गुना कवर)

टर्म इंश्योरेंस:

₹10,000 सालाना प्रीमियम पर

₹1 करोड़ का कवर (1000 गुना कवर)

समस्या बीमा की पहुँच की नहीं है, बल्कि इसके प्रस्तुतिकरण की है। लोगों को सुरक्षा नहीं, निवेश का सपना दिखाया जा रहा है — और इसी से "प्रोटेक्शन गैप" पैदा हो रहा है।

समाधान क्या है?.

हमेशा शुद्ध बीमा (Term Insurance) ही लें।

यह सस्ता, स्पष्ट और परिवार के लिए सच्चा सुरक्षा कवच है।

क्योंकि जब अनहोनी हो —

“Return” नहीं, “Protection” काम आता है।

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